मंगलवार, 10 सितंबर 2013

किसने दुनिया है खोई

जीवन की अंतिम बेला से पहले एक बार मैं आऊंगा
तेरे सारे शिकवे सुन के ही इस दुनिया से जाऊंगा 
तेरे अधरो की खामोशी,दिल की धड़कन औ मदहोशी
इन सब के इल्‍जामों सुन के ही सुख से मर पाऊंगा
सब कहते है तुम रहती हो खोई खोई
कोई ना जाने तुमको खो के किसने दुनिया है खोई

बुधवार, 4 सितंबर 2013

माँ

माँ की करुणा बहन का प्यार
रोटी की चाह मे छूटा घर द्वार
जिंदगी मे डुबोके खुद को ये दर्द भूल जायेंगे
माँ बाप को रुलाने की एक दिन सजा पायेंगे


रिश्ता

रिश्ता इससे कुछ अजीब हो गया
कैसा ये दर्द है जो इतना करीब हो गया 
ना मौत आती है ना जिंदगी जी जाती है
मेरा दुश्मन मेरा रकीब हो गया

संवेदना

बिखर रहा था मैं तुम्हारे खत के पुर्जे समेटते हुये .
टुकडो मे दर्द् था, स्याही में थी वेदना .
रोते हुये अक्षर और मरता हुया रिश्ता .
सब जाता रहे थे मुझसे संवेदना .

सोमवार, 2 सितंबर 2013

दर्द

अकेला था वो
अपनी मोहब्बत के साथ  जीने लगा
अकेला हुआ जब बेवफाई से
खामोश  दर्द के साथ  पल पल मरने लगा


जीवन साथी

पति पत्नी
एक गाड़ी के दो पहिये
जिंदगी की गाड़ी मे बैठे
मासूम बच्चे
कितना सच है
लेकिन भाग्य विधाताओं ने
कार के साथ लगाया
साइकिल का पहिया
और दे दी जिम्मेदारी
गाड़ी खीचने की
कार के पहिये के सपनो की उड़ान
बंध गयी धीमी गति मे
लेकिन स्वीकारी उसने काल नियती
दूसरे पहिये का साथ
रोके हमेशा आगे बढ़ने से
मजबूर होके
अपनी गति को प्रगति को
रोके कार का पहिया
अजीब है समय
अब कहाँ है वो जीवन के ईश्वर
जब कार का पहिया हाथ जोड़े
साइकिल के पहिये से बोले
आप चाहो तो मत घूमो
मैं अकेले खीच लूंगा जीवन की गाड़ी
लेकिन हे जीवन साथी
मुझे मत करो पंक्चर