शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

फिर दामिनी

फिर दामिनी
रो रही मानवता
नकारा हम
जल रही वो
उसकी वेदना पे
वाद विवाद
जलेगा अब
पल-पल जीवन
मौन रुदन 

संवेदनाए
इधर उधर से
घाव कुरेदें
 
 

बुधवार, 21 अगस्त 2013

----गीता ज्ञान----


हे कृष्ण
ये गीता ज्ञान
कर्म करो
फल की इच्छा नहीं
किन्तु
यदि कर्म फल चाह  नहीं
फिर क्यों ये कर्म युद्ध
छिपी नहीं क्या इसमें चाह
चाह राज करने की
जीवन यदि नश्वर
फिर क्यों युद्ध
नश्वर शरीरो से
आत्मा अजर अमर
तो चलो उसी अजरता का
उल्लास मनाये
हे पार्थ सारथि
ये ज्ञान तो ले चला
संन्यास की ऒर
मौन कृष्ण
सोच रहे
काश दे पाता  मैं
राधा को गीता ज्ञान
कृष्ण को पाने की व्याकुलता से
पाती मुक्ति
सिर्फ  प्रेम
प्रेम फल चाह  नहीं
यही है गीता ज्ञान
विचारते कृष्ण
क्यों रची ये सृष्टि
यदि सब नश्वर
तो फिर
क्यों ईश्वर.....................








बुधवार, 14 अगस्त 2013

महंगाई

दुखी समाज
खाली हुयी रसोई
महंगा प्याज


त्रस्त जनता
प्याज आंसू रुलाये
भूखी सो जाये



रोते किसान
गरीब है बर्बाद 
देश आजाद 


जन संदेश 
फिर आये आजादी
हमारे  देश

सवाल

मौन समन्दर
खामोश लहरें
सहमी चांदनी
कुछ सुनने की कोशिश करते 
गुमसुम  देखते
रेत  के टीले
नम आँखों में
थे जो सपने सीले सीले
उदास सोचते सब
मासूम सपनो का
कातिल है  कौन
ये रास्ता
ये पेड़ ये हवा
धूप छाँव ये जीवन  की
पूछती मंजिले
सारी  कायनात  
शाम की बारिश  में
जो साथी था छूटा
उसके सपनो का
कातिल है कौन


    


शुक्रवार, 2 अगस्त 2013

तारे रोते हुए

एक तपिश
आती जाती हवा में 
बदन को छुए 
दूर कही सरहद पे
लाशो के गुमनाम ढेर
जलते हुए…….
खाली आँखों में पले    
जीवन के सपने
आंसुओ से खाली हुए
लगते है जैसे 
दूर कही आसमां में 
कुछ तारे रोते हुए,..........




कवि

कवि का घर
खाली पेट रचना
तृप्ति जीभर


मेघ गर्जन
टूटी छत के नीचे
काव्य स्रजन

इंतजार

नदी किनारे
बरगद की शाखें 
कितनी प्यासी


ओस की बूंदे
पत्तियों पे ठहरीं
बाट जोहतीं


झूले तो पड़े
उनको खाली देखा
आंसू आ  गिरे