शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

फिर दामिनी

फिर दामिनी
रो रही मानवता
नकारा हम
जल रही वो
उसकी वेदना पे
वाद विवाद
जलेगा अब
पल-पल जीवन
मौन रुदन 

संवेदनाए
इधर उधर से
घाव कुरेदें
 
 

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