बुधवार, 14 अगस्त 2013

सवाल

मौन समन्दर
खामोश लहरें
सहमी चांदनी
कुछ सुनने की कोशिश करते 
गुमसुम  देखते
रेत  के टीले
नम आँखों में
थे जो सपने सीले सीले
उदास सोचते सब
मासूम सपनो का
कातिल है  कौन
ये रास्ता
ये पेड़ ये हवा
धूप छाँव ये जीवन  की
पूछती मंजिले
सारी  कायनात  
शाम की बारिश  में
जो साथी था छूटा
उसके सपनो का
कातिल है कौन


    


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